Vrindavan Ras Charcha

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A heartfelt verse by Bhori Sakhi Ji from Prem Ki Peer, expressing the longing for Radha Rani's grace and love.

Tab lagi vishyan mein man dhaavai – Bhori Sakhi, Prem Ki Peer (353)

Tab lagi vishyan mein man dhaavai, Jab lagi mand manohar haansi, hiy mein nahi samaavai. Kathin abhaag na mitihai tau laun, preeti hiye nahi aavai. Taaso puni-puni god pasaare, aarat teri sunaavai. Dil dardeeli sahaj Kishori, ‘Bhori’ bhaag jagaavai. – Bhori Sakhi, Prem Ki Peer, 353 O Kishori Ji! This restless mind, like a wayward […]

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A heartfelt verse by Bhori Sakhi Ji from Prem Ki Peer, expressing the longing for Radha Rani's grace and love.

तब लगि विषयन में मन धावै। – भोरी सखी, प्रेम की पीर

तब लगि विषयन में मन धावै। जब लगि मन्द मनोहर हाँसी, हिय में नाहिं समावै।  कठिन अभाग न मिटिहै तौ लौं, प्रीति हिये नहिं आवै ॥ तासौं पुनि-पुनि गोद पसारे, आरत टेरि सुनावै।  दिल दरदीली सहज किशोरी, ‘भोरी’ भाग जगावै ॥ -भोरी सखी, प्रेम की पीर, 353 हे प्यारी जू! यह चंचल मन तब तक

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Shri hit Mangal Gaan by Shri Hit Sevak Ji Maharaj, praising Shri Harivansh Ji and the divine virtues of Vrindavan.

श्रीहित मंगल गान

श्री हित मंगल गान जै जै श्री हरिवंश व्यास कुल मंडना। रसिक अनन्य्नी मुख्य गुरु जन भय खण्डना।। श्री वृन्दावन बास रास रस भूमि जहाँ। क्रीडत श्यामा श्याम पुलिन मंजुल तहां।। पुलिन मंजुल परम पावन त्रिविध तहां मारूत बहै। कुञ्ज भवन विचित्र शोभा मदन नित सेवत रहै।। तहाँ सन्तत व्यास नन्दन रहत कलुष विहण्डना। जै

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Shree radha chalisa shree seva kunj dham

श्री राधा चालीसा – श्री सेवा कुंज धाम

श्री राधा चालीसा – श्री सेवा कुंज धाम श्री गुरू चरण प्रताप ते, पायो विपिन को वास। वरणौं राधा चालीसा, रसिकन हिये प्रकाश।। चरण कमल हिये राखिके, जीवन होय अब धन्य। प्रिया सुयश नित गान करों, चरण सरोज अनन्य।। अहो कृपामयी लाडली, प्यारी परम उदार। वन विनोद सुखकारिणी, रसिकन प्राणाधार।। जीवन प्राण अब बन रहो,

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Vrindaban Ki Sobha Dekhe - Shri Hariram Vyas, Vyas Vani

वृंदाबन की सोभा देखे मेरे नैन सिरात।

वृंदाबन की सोभा देखे मेरे नैन सिरात। कुंज निकुंज पुंज सुख बरसत हरषत सबकौ गात॥ [1] राधा मोहनके निज मंदिर महाप्रलय नहीं जात। ब्रह्मातें उपज्यो न अखंडित कबहूँ नाहिं नसात॥ [2] फनिपर रवि तरि नहिं बिराट महँ नहिं संध्या नहिं प्रात। माया कालरहित नित नूतन सदा फूल फल पात॥ [3] निरगुन सगुन ब्रह्मतें न्यारौ बिहरत

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Bhori Sakhi Ji's "Sarvopari Mhari Maharani" - Prem Ki Peer 38

सर्वोपरि म्हारी महरानी।

सर्वोपरि म्हारी महरानी। जीत लियौ घनश्याम लाड़ली, स्ववस एक रस दानी। ललितादिक संग सखी सहचरी, वृंदावन रज धानी। ब्रह्मा विष्णु शंभु सनकादिक, महिमा नैकु न जानी। वेद पुराण सबै पचि हारे, श्री हरिवंश बखानी। भोरी ओर कृपा करि हेरौ, अलबेली ठकुरानी। – श्री भोरी सखी, प्रेम की पीर (38) हमारी महारानी श्री राधा रानी सर्वश्रेष्ठ

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Laagi Rat, Radha Shri Radha Naam" verse by Shri Hariram Vyas Ji, highlighting Radha Rani's divine presence and the poet's heartfelt devotion.

लागी रट, राधा श्रीराधा नाम।

लागी रट, राधा श्रीराधा नाम। ढूँढ़ फिरी वृन्दावन सगरौ, नन्द ढिठौना स्याम॥ [1] कै मोहन या खोर साँकरी, कै मोहन नँदगांम। श्री व्यासदास की जीवन राधे, धन बरसानौ गाँम॥ [2] – श्री हरिराम व्यास, व्यास वाणी, पूर्वार्ध (39) अब मैंने श्री राधा नाम की रटना लगा दी है। समस्त वृंदावन में खोजने का प्रयास किया,

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